गौ माता जी की मानव जीवन में क्यों आवश्यकता है ?

हमारे जीवन में निरन्तर दुःख क्यों बढ़ रहे हैं। आज सामान्यतया मानव की सोच बन गई है कि गाय से तो ज्यादा दूध भैंस, जर्सी, होलिस्टन आदि पशु देते हैं। भैंस तो दूध ज्यादा भी देती है और जाड़ा भी देती है। भैंस के दूध में तो फेट भी ज्यादा आती है। ओर फेट के […]

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पहली रोटी नही, पहले रोटी गोमाताजी को जिमानी चाहिए।

पाप के अन्न को पवित्र करने का एक ओर साधन था गौमाता जी को प्रेम और श्रद्धा से पहले रोटी जिमाना और बाद में परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा खाना। ये परम्परा हमारे पाप युक्त अन्न को पाप मुक्त करने का सहज साधन थी। आप सोचोगे कि गोमाताजी को पहले रोटी जिमाने से पाप का

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अधिक डीजल का उपयोग भारत को गो हत्यारा बना रहा है।

हम यदि आज से तीस-चालीस पहले की बात करें उस समय हर किसान के पास बैल भगवान हुआ करते थे। सारी खेती बैल भगवान से ही हुआ करती थी। बैल भगवान का पैर लगने के कारण अन्न का पाप स्वतः समाप्त हो जाता था। पवित्र अनाज खाने को मिलता था तो जीवन में पुण्य रहता

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पाप के अन्न को पुण्य में कैसे बदले ?

पाप और पुण्य का मूल दाता है अन्न, जिसे आप खाते है। आजकल पवित्र अन्न तो बचा ही कहाँ है। सारे अन्न में पाप ही पाप दिखाई दे रहा है। आप सोच रहे होंगे कि हमारे अन्न में पाप कहाँ से आया तो समझिएगा- अनाज पैदा होता है खेत में और खेती बिना कीडे-मकोड़े मरे

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इन्सान और जानवरों में क्या अंतर है ?

क्या आप जानते है भवसागर पार कराने वाली दिव्यशक्ति गोमाताजी को जब से इन्सान ने पशु समझना शुरू किया उसके बाद इन्सान और साधारण पशुओं में कोई अन्तर नहीं रह गया।आप स्वयं सोचिए आज इन्सान और जानवर में क्या अन्तर रह गया हैं? सुबह से शाम और जन्म से मरण तक जो काम आज का

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परमात्मा को साकार रूप में भूतल पर लाने का कार्य गोमाताजी ने ही किया ….. जानते है कुछ प्रमाण

क्या आप जानते है परमात्मा को साकार रूप में गोलोक या वैकुण्ठ से पृथ्वी पर बुलाना हो या प्रतिमा रूप में भू-गर्भ से भूतल पर लाना हो तो यह काम सिर्फ गोमाताजी ही कर सकती हैं। जब रावण का आंतक पृथ्वी पर बढ़ा तब देवता व ऋषियों की पुकार को भी प्रभु ने अनसुना कर

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गौमाता का पालन हर घर में होना चाहिए

हर घर में कम से कम एक गौमाता की सेवा अवश्य होनी चाहिए । आजकल के लोग वो भी नहीं कर सकते तो हर घर में गौ सेवा के लिए दान पात्र लगाएं और रोज कुछ ना कुछ धन उसमें अवश्य डालें… एवं महीने के अंत में किसी भी गौ सेवा संस्थान को ये दान

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गोमाताजी के ईश्वरीय स्वरूप को जानने के कुछ महत्वपूर्ण प्रमाण

हमें कुछ ऐसी बातों पर विचार करना चाहिए जो हमारे ह्रदय चक्षु को खोलकर गोमाताजी के ईश्वरीय स्वरूप के दर्शन कराएगी। जरा सोचे….. ईश्वर-भगवान-परमात्मा-देवता सर्व समर्थ है ईश्वर की इच्छा के बिना तो किसी पेड़ का पत्ता भी टूट कर पृथ्वी पर नही गिरता है, फिर भी ऐसे सर्व समर्थ परमात्मा के मल-मूत्र की महिमा

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गौमाता 84 लाख योनियों का जीव नहीं है ….. जाने क्यों ?

”तब-तब प्रभु धरि विविध शरीरा ।    हरहिं कृपा निधि सज्जन पीरा ।।’’ यह प्रभु की इस लीला का ही हिस्सा है कि सज्जनों के दुःख को मिटाकर उन्हें सुखी करने के लिए ही भगवान असंख्य गौओं का रूप लेकर पृथ्वी पर पधारें है या यूँ कहें कि शक्ति स्वरूप निराकार, निरगुण, परब्रह्म परमपिता परमात्मा

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क्या वास्तव में आप गौमाता को माँ मानते है ?

श्री गोमाताजी को माँ मानने वालों, पूज्या गोमाताजी की जय बोलने वालों क्या आपने गोमाताजी को सचमुच माँ माना है ?…यदि हाँ तो यह सरासर झूँठ है। हाँ जब भी कोई धार्मिक आयोजन हो तब आप गोमाताजी की जय बोल लेते हो, पूजा कर लेते हो उस समय क्षण मात्र के लिए आप पूज्या गोमाताजी

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