जब कोई भी स्त्री गर्भधारण करती है तो घर-परिवार में आनन्द सा माहौल होता है और इस माहौल में माता-पिता परमात्मा से प्रार्थना करते हैं कि हे प्रभु हमें उत्तम सन्तान की प्राप्ति हो। जो कुल परिवार का नाम आगे बढाए और बुढ़ापे में रोटी देवे, औषधि देवे और प्रेम से सेवा करें। प्रार्थना तो आप करेगें पर यहां केवल प्रार्थना से काम नहीं चलेगा क्योंकि सन्तान कैसी होगी यह विभाग परमात्मा ने माँ को सौंप दिया है। माँ चाहे तो श्रवण को जन्म दे और माँ चाहे तो कंस को पैदा करे। कुछ लोगों का सोचना होता है कि सन्तान तो जैसा कुल होगा वैसी ही होगी। पर ऐसा भी नहीं है अगर सन्तान केवल कुल के आधार पर ही होती तो हिरण्यकश्यपु के घर भक्त प्रहलाद नहीं कोई पापी जन्म लेता। विश्रवा ऋषि के घर रावण की जगह कोई सात्विक ऋषि अवतरित होता। देवी दिति और अदिति तो एक ही पिता की सन्तान थी। और एक ही पुरूष से विवाह हुआ यानि दोनों का पितृ कुल एक और पति कुल भी एक। लेकिन एक के राक्षसों ने जन्म लिया और एक के देवताओं ने। इससे सिद्ध होता है कि सन्तान की प्रकृति पर कुल का कम, माता की करनी का प्रभाव ज्यादा पड़ता हैं। रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसी बाबाजी सुमित्रा देवी जी के मुख से कहलाते है-
‘‘पुत्रवती जुबती जग सोई, रघुपति भगत जासू सुत होई।
नतरू बाँझ भली बादी बियानी, राम विमुख सुत ते हित जानी।।
राजस्थानी वीरांगनाओं के बीच एक कहावत प्रचलित हैं-
‘‘माई जणे तो ऐड़ो जण जे, के दाता के सूर।
नीतो रीजे बांझड़ी, मती गंवाजे नूर।।’’
यह समस्त बातें इस बात का प्रमाण है कि सन्तान कैसी होगी यह माँ के हाथ में है।
तो श्रवण कुमार जैसा संस्कारी मातृ-पितृ भक्त पुत्र प्राप्त करने के लिए माँ को क्या करना चाहिए? जैसे ही स्त्री को पता चले कि गर्भ धारण हो गया है। उसी दिन से प्रातः जल्दी उठना प्रारम्भ करे। नहाकर सवासेर (800 ग्राम) जौ को हाथ की चक्की से दलिया बनावें। दलिया बनाते समय गोमाताजी, भगवान गोपाल कृष्णजी अथवा अपने ईष्ट के भजन गावे। उसके पश्चात उस दलिये में गुड़ तेल मिलाकर आदर सहित गोमाताजी को जिमावे। इसके बाद सात परिक्रमा गोमाताजी को स्पर्श करते हुए करे। गोमाताजी के साथ नन्दी महाराज की परिक्रमा भी करनी चाहिए। यदि परिक्रमा सात गौमाताओं की या सात नन्दी भगवान की करंे तो अति शुभ फल दायिनी मानी गयी हैं। गर्भ पर गोमाताजी की पूँछ 9 बार घुमावे। फिर श्रद्धा से भूमि पर बैठकर गोमाताजी को प्रणाम कर उत्तम सन्तान हेतु प्रार्थना करे, पूर्ण सात्विक भोजन उपयोग करें, सद्शास्त्र पढ़े, उत्तम कथा सत्संग का श्रवण करे किसी की निन्दा नहीं करें। प्रातः पंचगव्य पान करें और सोने से पहले देसी गोमाताजी के 400 ग्राम दूध में थोड़ी केसर व शहद डालकर गोचारण करते प्रभु श्याम का ध्यान करते हुए पीवें। ऐसा प्रसव तक करती रहे। अगर 9 मास तक साधारण से लगने वाले इन नियमों का पालन कोई स्त्री करे तो इस कलिकाल में भी निश्चित श्रवण कुमार जैसे पुत्र की प्राप्ति होती है।
जय गौमाता