हम सभी जानते है कि विवाह के पश्चात 10 वर्ष निकल जाए तथा जिनके कोई सन्तान नहीं हो तो लोग उनको बाँझ कहकर पुकारते हैं, निपूता जानकर मुखदर्शन नहीं करते, परिवार वालों के ताने सुनने पड़ते हैं, ऐसे में पति-पत्नी ने सारे उपाय कर लिए हो जैसे डाॅक्टर-वैद्य, नीम-हकीम, ओझा-भोपा, तन्त्र-मन्त्र, जादू-टोना, झाड़-फूंक, साधू-सन्त, देव-तीर्थ, ताबीज-विभूति फिर भी कोई लाभ नहीं हो तो एक अचूक उपाय है। परन्तु इस उपाय को करने से पहले यह जान लेना व मान लेना आवश्यक होगा कि गोमाताजी भगवान है परमात्मा हैं। यह उपाय उनको काम नहीं देगा जो गोमाताजी को पशु मानते हैं।
इसके लिए उपाय समझ लें- आप अपने घर खेत में एक क्यारी बना लेवें। उसमें सुअर या किसी जंगली जानवर द्वारा खोदी हुई मिट्टी डाल देवें। उस मिट्टी में पुराना गोमाताजी का गोबर जो खाद का रूप ले चुका हो वो डाल देवें। नीम, तुलसी, बिल्व के पत्ते भी उस क्यारी में डाल देवें। फिर देशी कपास के बीज उस क्यारी में बो देवें। प्रातःकाल हरिवंश पुराण का पाठ कर उसमें पानी डालें। जब वह पौधे 9 इंच से बड़े हो जाएं तब एक मुुठी में आए उतने पौधे रोज जड़ सहित उखाडे़ं। उनकी जड़ों को पानी में धोकर छोटे-छोटे चावल के आकार में काटें। फिर देसी गोमाताजी के दूध में उबालकर खीर बनाकर पिएं। ऐसा सवा महीने तक स्त्री करे। हरिवंश पुराण का पाठ पति-पत्नी दोनों करें। खीर पान केवल स्त्री करंे। ध्यान रहे खीर देसी गोमाताजी के दूध में ही बनानी है अन्य पशु जैसे-जर्सी, हालिस्टन, रेड्डेन, भैंस, भेड़, बकरी, ऊंटनी आदि के दूध में नहीं बनानी है। खीर में सफेद चीनी का प्रयोग नहीं करे। खीर को ठण्डी करके शक्कर के स्थान पर रसायन मुक्त देसी खाण्ड का प्रयोग करें। ऐसी पवित्र कपास जड़ से निर्मित गोदुग्ध खीर को परमात्मा का ध्यान करते हुए स्त्री पिये।
महाभारत के विराट प्रसंग के अनुसार देशी नस्ल के बुड्ढ़े बैल का मूत्र स्त्री को सुबह शाम सुंघावे। पति-पत्नी दोनों मिलकर देसी गोमाताजी की सेवा करें। घर में गोमाताजी हो तो ठीक, नहीं तो लेकर आवें। जैसी सेवा रघुवंश शास्त्र में राजा दिलीप द्वारा करते हुए बताई है वैसी ही सेवा करें। गोमाताजी को प्रतिदिन सहलावें, नहलावें, मालिश करें, स्वच्छ जल पिलावें। अच्छा घास दाना जिमावें। गौमाताजी से मीठी-मीठी बाते करें। सेवा करते समय मन में कहीं भी गोमाताजी पशु हैं यह भाव नहीं लावें। दोनों पति-पत्नी गोमाताजी की नित्य परिक्रमा करते हुए यह चैपाई बोले-
‘‘जा दिन ते हरि गर्भहिं आए,
सकल लोक सुख सम्पति छाए’’
यह अनुष्ठान तब तक करते रहे जब तक इच्छा पूरी न हो। एक दिन निश्चित ही सन्तान प्राप्ति होगी। देखने में आया है कि सामान्यतया इस विधि से गौसेवा करने पर ढ़ाई वर्ष में सन्तान प्राप्ति की इच्छा गोमाताजी प्रसन्न होकर पूरी कर देती हैं।